भारत एक वेलफेयर स्टेट है और अपने नागरिकों की बुनियादी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना इसका प्रथम कर्तव्य है। इस कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने देश में राशन कार्ड की व्यवस्था करी है जिसकी मदद से न्यूनतम दरों पर उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न लिया जा सकता है।
राशनकार्ड धारियों तक राशन पहुंचाने की पूरी ज़िम्मेदारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली(PDS) की होती है और इस पूरी व्यवस्था को खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) द्वारा संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है।
राशन कार्ड क्या है?
राशन कार्ड राज्य सरकारों द्वारा ज़ारी एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जिसकी मदद से पात्र परिवारों को उचित मूल्य की दुकानों से न्यूनतम दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध होती है।
इस दस्तावेज का उपयोग निम्न स्तर के शासकीय तथा गैर शासकीय कार्यों में निवास और व्यक्तिगत पहचान के लिए प्रमाण पत्र के रूप में किया जा सकता है।
राशन कार्ड कब से है?
अगर राशन कार्ड के इतिहास की बात करें तो भारत में ये ब्रिटिश काल से है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के आदेश पर भारत में उत्पादित अनाज को यूरोप में युद्ध लड़ रहे ब्रिटिश सैनिकों के लिए भेजा गया तो देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो गया। इसके परिणामस्वरूप समूचे भारत में भूखमरी जैसी स्थिती उत्पन्न हो गई, इसका सबसे भीषण प्रभाव बंगाल प्रांत में देखने को मिला।
ऐसी स्थिति में अंग्रेजो की फैक्ट्रियां तथा कारखानें बंद हो सकती थी, इन्हें सुचारु रुप से चलाने के लिए अंग्रेजो ने वहां काम कर रहे मजदूरों को सन 1939ई. में राशन कार्ड दिया ताकि वे निर्बाध रूप से अनाज ले सके और इनकी फैक्ट्रियों में काम कर सकें। इसी के साथ ही इन्होंने उच्च वर्ग के लोगों के लिए भी राशन कार्ड की व्यवस्था करी ताकि इन्हें विरोधों का सामना न करना पड़े।
और इस तरह से राशन कार्ड अस्तित्व में आया, इसके बाद से ही राशन कार्ड से संबंधित नीतियों में संशोधन होते रहे हैं, आज के समय में समूचे भारत में लगभग 19,72,93,686 राशन कार्ड हैं और लगभग 79,39,92,100 हितग्राही हैं। नोट: यह डाटा निरंतर बदलती रहता है।
राशन कार्डों के प्रकार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के लागू होने के बाद NFSA के अंतर्गत दो प्रकार के राशन कार्ड आते हैं–
1. Priority Household या प्राथमिकता परिवार राशन कार्ड (PHH)
यह कार्ड उन परिवारों को दिया जाता है जो संबंधित राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।
• भूमिहीन कृषि मजदूर
• सीमांत एवं लघु कृषक के समस्त परिवार
• असंगठित श्रमकार
• संनिर्माण कर्मकार
• निर्माण श्रमिक
आदि इस योजना के लाभार्थी हैं। PHH कार्ड धारक BPL परिवार के अंतर्गत आते हैं।
2. अंत्योदय अन्न योजना(AAY) राशन कार्ड
यह कार्ड उन लोगों को दिया जाता है जो गरीबी रेखा के स्तर से भी नीचे जीवन यापन कर रहे हों।
• इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित विशेष पिछड़ी जनजातियों के समस्त परिवार आते हैं।
• विधवा स्त्री, एकाकी महिला, लाईलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति तथा नि:शक्तजन भी इस योजना से लाभान्वित होते हैं।
• मुखिया 60वर्ष से अधिक आयु के हो और जिनके पास आजीविका के सुनिश्चित साधन न हो इस योजना से लाभान्वित होते हैं।
इनके अलावा संबंधित राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले परिवार इसके लाभार्थी है।
NFSA, 2013 के लागू होने से पहले देश में TPDS, 1997 के अंतर्गत तीन प्रकार के राशन कार्ड होते थे –
1. APL (Above Poverty line) राशन कार्ड
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए।
2. BPL (Belove Poverty line) राशन कार्ड
गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए।
3. AY (Annapurna Yojna) राशन कार्ड
65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए।
उचित मूल्य की दुकान
देश में राशन के वितरण हेतु उचित मूल्य की दुकानों की व्यवस्था है यहां पर कार्ड ले जाकर न्यूनतम दर पर राशन लिया जा सकता हैं।
उचित मूल्य की दुकानों में भिन्न–भिन्न कार्डधारियों को भिन्न–भिन्न मात्रा में राशन दिया जाता है जिसकी जानकारी निम्नानुसार है –
1 प्राथमिकता परिवार (PHH) राशन कार्ड
Priority Household (PHH) राशन कार्ड धारियों को केन्द्र सरकार की ओर से प्रतिमाह, प्रतिव्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज देने का प्रावधान है।
इस प्रकार से परिवार में 3 सदस्य होने पर कुल 15 किलोग्राम अनाज प्रतिमाह मिलेगा।
इसके साथ ही कई राज्य अपने तरफ से न्यूनतम दरों पर नमक, शक्कर, चना तथा मिट्टी तेल इत्यादि भी देते हैं।
कोविड महामारी जैसी विशेष स्थितियों में सरकार वेलफेयर स्कीम के तहत् निर्धारित सीमा से अधिक अनाज भी दे सकती है।
2 अंत्योदय अन्न योजना (AAY) राशन कार्ड
AAY कार्ड धारियों को प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम अनाज मुहैया कराया जाता है।
इसके साथ ही कई राज्य अपने तरफ से न्यूनतम दरों पर नमक, शक्कर, चना और मिट्टी तेल इत्यादि देते हैं।
कोविड महामारी जैसी विशेष स्थितियों में सरकार वेलफेयर स्कीम के तहत् निर्धारित सीमा से अधिक अनाज भी दे सकती है।
NFSA, 2013 से पहले तीन ऐसे भी राशन कार्ड थे जो वर्तमान में उपयोग में नहीं हैं –
3 गरीबी रेखा से नीचे (BPL) राशन कार्ड
बीपीएल परिवारों को प्रतिमाह 10 किलोग्राम से लेकर 20 किलोग्राम तक अनाज उसके वाणिज्यिक दर से आधे (50%) किमतो पर मिलता था।
अलग–अलग राज्यों के लिए ये दर (कीमत) अलग–अलग होती थी।
4 गरीबी रेखा से ऊपर (APL) राशन कार्ड
एपीएल कार्ड धारकों को प्रतिमाह 10 किलोग्राम से लेकर 20 किलोग्राम अनाज उसके मूल वाणिज्यिक दर (100%) के हिसाब से मिलती थी।
अलग–अलग राज्यों के लिए ये दर (कीमत) अलग–अलग होती थी।
5 अन्नपूर्णा योजना (AY)
अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत कार्ड धारियों को प्रतिमाह 10kg अनाज दिए जानें का प्रावधान था।
ये अनाज चावल होने की स्थिती में 3 रूपये प्रति किलो, गेहूं होने पर 2 रूपये प्रति किलो तथा मोटा अनाज होने की स्थिती में 1 रुपए प्रति किलो की दर से मिलेगा।
उक्त दर केंद्र सरकार द्वारा ज़ारी CIP (Central Issue Price) है राज्य सरकारें चाहें तो अपने राज्यों में और भी सब्सिडी लगाकर इन्हे 1 रूपये प्रति किलो के हिसाब से या मुफ्त में भी बांट सकती है।
इन सभी राशन कार्डों के अतिरिक्त राज्यों में और भी प्रकार के राशन कार्ड जारी होते हैं जो की NFSA के अंतर्गत नहीं आते हैं लेकिन इनका वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली(PDS) के तहत् ही होता है।
ऐसे राशन कार्ड विभिन्न सोशल वेलफेयर स्कीम के तहत् जारी होते हैं। आईए इसे छत्तीसगढ़ में जारी राशन कार्डों के उदाहरण से समझते हैं
छत्तीसगढ़ में जारी राशन कार्डों की जानकारी
1. अंत्योदय अन्न योजना राशन कार्ड (AAY/BPL)
यह केन्द्र सरकार द्वारा NFSA के अंतर्गत ज़ारी योजना है, इसके लिए पात्र परिवारों का चिन्हांकन केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकारें करती है।
छत्तीसगढ़ में AAY कार्ड धारियों को 1Rs/kg के दर से प्रतिमाह 35Kg अनाज दिया जाता है।
2. प्राथमिकता परिवार राशन कार्ड (PHH/BPL)
यह केन्द्र सरकार द्वारा NFSA के अंतर्गत ज़ारी योजना है इसके लिए भी पात्र परिवारों का चिन्हांकन केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकारें करती हैं।
छत्तीसगढ़ में PHH कार्ड धारियों को 1Rs/kg के दर से –
1 सदस्य वाले कार्ड पर 10kg प्रती माह
2 सदस्य वाले कार्ड पर 20kg प्रती माह
3 से 5 सदस्य वाले कार्ड पर 35kg प्रति माह
5 से अधिक सदस्य वाले कार्ड पर 7kg प्रती सदस्य के हिसाब से प्रतिमाह अनाज मिलता है।
3. सामान्य परिवार राशन कार्ड (APL)
सामान्य परिवारों के लिए राशन कार्ड तो जारी होता है लेकिन NFSA के तहत इन्हे खाद्यान्न नहीं मिलता।
हालाकि राज्य सरकारें FCI गोदामों से अनाज खरीदकर बाजार के न्यूनतम मूल्य पर इन्हे अनाज मुहैया करा सकती हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य इसका एक उदाहरण है, यहां लगभग 10Rs/Kg के हिसाब से APL कार्ड धारकों को चावल मुहैया कराया जाता है।
4. अन्नपूर्णा योजना राशन कार्ड
यह NFSA का अंग न होकर केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजना का एक अंग है।
इस योजना का लाभ उन व्यक्तियों को मिलता है जिनकी आयु 65वर्ष से अधिक है तथा जिन्हे राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजना के तहत् वृद्धा पेंशन नहीं मिलती है।
इस योजना के लाभार्थी ऐसे लोग भी हैं जिन्हें NFSA के तहत् या किसी भी अन्य योजना के तहत् राशन नहीं मिलता हो।
5. एकल निराश्रित राशन कार्ड
छत्तीसगढ़ में निराश्रित श्रेणी के प्रत्येक राशन कार्डधारक को हर महीने 10Kg चावल मुफ्त दिया जाएगा।
6. निःशक्तजन राशन कार्ड
छत्तीसगढ़ में दिव्यांग श्रेणी के प्रत्येक राशन कार्डधारक को पात्रता के अनुसार प्रतिमाह मुफ्त चावल दिया जाता है।
राशन कार्ड के बारे में जान लेने के बाद अध्ययन के इस कड़ी में अब हम सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS) के बारे में पढ़ेंगे
सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS/TPDS)
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है?
जैसा कि हम जानते हैं भारत एक वेलफेयर स्टेट है और अपने नागरिकों को बुनियादी आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना इसका प्रथम कर्तव्य है। इस कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने आर्थिक और शारीरिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों को भुखमरी तथा कुपोषण जैसी गंभीर समस्याओं से बचाने हेतु उन्हें न्यूनतम दरों पर अनाज मुहैया कराने की एक राष्ट्रव्यापी व्यवस्था करी है, जिसे हम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नाम से जानते हैं।
इस प्रणाली के तहत् राज्य सरकारें योग्य व्यक्तियों तथा परिवारों को चिन्हांकित करती है और उनके लिए राशन कार्ड जारी करती है। इस कार्ड की मदद से न्यूनतम दरों पर नजदीकी उचित मूल्य की दुकानों से अनाज प्राप्त किया जा सकता है। इस पूरी व्यवस्था को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 द्वारा संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध(1939–45ई.) के समय भारत में भीषण अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसमें लाखों लोगों की जानें गई थी। इस अकाल का सबसे ज्यादा मार तब के बंगाल प्रांत में पड़ा था जिसे हम "Bengal Famine Of 1943" के नाम से जानते हैं।
इस समय भारत पर अंग्रेजो का राज था और उनकी ब्रिटीश आर्मी विश्व युद्ध लड़ रही थी, तो ब्रिटिश आर्मी को अनाज मुहैया कराने के लिए ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भारत के अनाज को यूरोप ले जानें का आदेश दिया। एक तो भारत पहले से ही अकाल जैसी स्थिती से गुजर रहा था ऊपर से इस आदेश के बाद यहां अनाज की और भी ज्यादा शॉर्टेज हो गई और लाखों लोग भूख से मरने लगे।
देश की व्याकुल स्थिती को देखते हुए अंग्रेज़ो ने अपने मजदूरों के लिए राशन कार्ड की व्यवस्था करी ताकि इनके कारखाने निर्बाध रूप से चल सकें।
यह राशन कार्ड ब्रिटिश फैक्ट्रियों में काम कर रहे मजदूरों, ब्रिटिश अधिकारियो, कर्मचारियों और उच्च वर्ग के लोगों के लिए बना था। इन कार्ड की मदद से कार्ड धारियों को अंग्रेजो के वितरण प्रणाली से राशन मिल जाता था। लेकिन इस योजना से गरीब लोग अछूते ही रहे और इस प्रकार से देश में सार्वजानिक वितरण प्रणाली की शुरुआत हुई।
प्रथम पंचवर्षीय योजना में PDS शामिल
आज़ादी के बाद इसे प्रथम पंचवर्षीय योजना(1951–56ई.) में एक वेलफेयर स्कीम की तरह शामिल किया गया और इसके जरिए जरूरतमंदों तक अनाज पहुंचाने की कोशिश की गई।
1992 में RPDS लाया गया
वनांचल और पहाड़ी क्षेत्रों जैसे दुर्गम इलाकों में भी अनाज पहुंचाने के उद्देश्य से 1992ई. में Revamped Public Distribution System (RPDS) को लाया गया।
1997 में TPDS लाया गया
PDS और RPDS जैसी व्यवस्थाओं के बावजूद भी बहुत से ऐसे लोग थे जो शासन के इन कल्याणकारी योजनाओं से अछूते थे, भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी नियमों में लूप होल ढूंढकर भ्रष्टाचार करते थे, अयोग्य व्यक्ति अपने पहुंच का फायदा उठाकर आवश्यकता से कहीं अधिक अनाज ले जाते थे और योग्य व्यक्ति मुंह ताकते रह जाते थे।
सार्वजानिक वितरण प्रणाली में इन्ही खामियों को दूर करने के लिए साल 1997 में "लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली/Targeted Public Distribution System"(TPDS) लाया गया।
TPDS का उद्देश्य सोशल वेलफेयर स्कीम की तरह कहीं भी अन्न वितरण करना न होकर पात्र व्यक्तियों को चिन्हांकित कर सिर्फ उन्हें ही अनाज मुहैया कराना था।
TPDS के तहत् पात्र व्यक्तियों/परिवारों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया था –
1. BPL FAMILY/बीपीएल परिवार
इस वर्ग में गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line) के परिवारों को रखा गया था।
2. APL FAMILY/एपीएल परिवार
इस वर्ग में गरीबी रेखा से ऊपर (Above Poverty Line) वाले परिवारों को रखा गया था।
TPDS लागू होने के लगभग 3 साल बाद अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार ने 25 दिसंबर 2000 को अंत्योदय अन्न योजना को क्रियान्वित किया। इसके बाद BPL, APL तथा AAY कार्ड अन्त्योदय योजना के अंतर्गत आ गए।
3. AAY FAMILY/अंत्योदय अन्न योजना परिवार
इस वर्ग में गरीबी रेखा (Poverty Line) से भी बहुत नीचे वाले परिवारों को रखा गया था। उदा.– 65वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध, विशेष पिछड़ी जनजाति इत्यादि।
इन सभी वर्गों के लिए पात्रता का निर्धारण सम्बन्धित राज्य सरकारें करती थी तथा योग्य व्यक्तियों को चिन्हांकित करके TPDS के जरिए उचित मूल्य की दुकानों से अनाज वितरित किया जाता था।
वर्तमान में NFSA,2013 के लागू होने के बाद TPDS के दौरान जारी हुए राशन कार्डों को निष्क्रिय कर दिया गया है तथा योग्य व्यक्तियों के लिए नया अंत्योदय(AAY) तथा प्राथमिकता परिवार (PHH) राशन कार्ड जारी किया गया है। लेकिन अनाज के वितरण का काम TPDS ही करती है, या यू कहे की TPDS अब NFSA,2013 का एक कार्यकारी अंग है।
TPDS की कार्यप्रणाली
• केंद्र सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज खरीदती है।
• इन खरीदे हुए अनाज को Food Corporation of India (F.C.I.) गोदामों में रखा जाता है।
• FCI गोदामों में रखे अनाज को केन्द्र सरकार Central Issue Price (C.I.P.) पर राज्यों को अलॉट करती है।
CIP केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एक न्यूनतम/सब्सिडाइज्ड दर है जिस पर राज्य सरकारों को अनाज मुहैया कराया जाता है, चावल, गेहूं तथा मोटे अनाज के लिए ये दर क्रमशः 3Rs/kg, 2RS/kg तथा 1Rs/kg है।
राज्य सरकार चाहें तो इनपर भी सब्सिडी दे सकती हैं और इनको 1Rs/kg के दर से या मुफ्त में भी वितरित कर सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनके यहां के राशन कार्डों की संख्या के आधार पर अनाज की मात्रा अलॉट किया जाता है।
• फिर राज्यों को अलॉट किए गए अनाज को वहां के उचित मूल्य की दुकानों (Fair Price Shops) तक पहुंचाया जाया जाता है।
• इन उचित मूल्य की दुकानों पर पात्र व्यक्ति राशन कार्ड ले जाकर अपने हिस्से के अनाज को न्यूनतम दरों पर खरीद सकता है।
इस तरह से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) कार्य करती है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बारे में जान लेने के बाद अध्ययन के इस कड़ी में अब हम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के बारे में पढ़ेंगे
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA)
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 क्या है?
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 भारत का एक कानून है जो देश के गरीब लोगों के लिए न्यूनतम दरों पर खाद्यान्न की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
साल 2013 से पहले उचित मूल्य की दुकानों पर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत् अनाज मिलता था, जैसे की साल 2000 में आई अंत्योदय अन्न योजना।
जनकल्याणकारी योजनाओं में दिक्कत इस बात की होती है की इनकी कोई गारंटी नहीं होती, सरकार चाहे तो कभी भी इन्हें बंद कर सकती है या इनके नियमों में परिर्वतन कर सकती हैं।
अगर किसी वजह से अनाज की शॉर्टेज हो जाती तो सरकार इसके लिए जवाबदेह नहीं होती, अगर सरकार को कटघरे में खड़ा कर भी देते तो अदालत उनको हिदायत देकर छोड़ सकती थी। क्योंकि NFSA से पहले अनाज वितरण करना महज एक वेलफेयर स्कीम था, कोई कानून नहीं था। आसान शब्दों में कहें तो अनाज मिल रहा था तो मिल था, अगर नहीं भी मिलता तो जनता ज्यादा कुछ नहीं कर सकती थी।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए मनमोहन सिंह सरकार ने संसद के समक्ष राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लाया। शुरुआत में इसको लेकर बहुत विवाद हुआ लेकिन अंत में संसद के दोनों सदनों में ये विधेयक पास हो गया और इस तरह से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 अस्तित्व में आया। 14 सितंबर 2013 को यह विधेयक एक अधिनियम के रूप में पास हुआ और 5 जुलाई 2013 को अतीत से लागू (Retroactive) हुआ।
अधिनियम लागू होने के बाद खाद्य की सुनिश्चितता को संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त हुई और अब पात्र व्यक्तियों तक अनाज पहुंचाना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य हो गया है।
अब अगर कोई सरकार अनाज देना बंद कर देती है, तो उनके खिलाफ़ अदालत में केस दर्ज किया जा सकता है। और NFSA, 2013 का हवाला देकर अदालत सरकार को फटकार लगा सकती है तथा तत्काल प्रभाव से अनाज मुहैया कराने के लिए आदेश निकाल सकती है।
इस तरह से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
लेकिन देश में कानून बनने से एक साल पहले ही छत्तीसगढ़ में ऐसा कानून बन चुका था जिसे हम छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम, 2012 के नाम से जानते हैं।
इस तरह से छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य की वैधानिक सुरक्षा देने वाला देश का पहला राज्य बना (राष्ट्रीय कानून बनने से एक साल पहले से)।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की प्रमुख विशेषताएं
NFSA के अंतर्गत बहुत से बिंदुओ पर उल्लेख किया गया है जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओ पर आज हम प्रकाश डालेंगे –
1. लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS)
TPDS, NFSA की एक कार्यकारी ईकाई है जिसके ज़रिए पात्र लोगों तक अनाज पहुंचाया जाता है।
NFSA पात्र लोगों को दो श्रेणियों में रखता है 1. अंत्योदय अन्न योजना (AAY) 2. प्राथमिकता परिवार (PHH)
2. रियायती खाद्यान्न (Subsidised Food)
NFSA के अंतर्गत प्रत्येक पात्र परिवार को 3Rs/kg के दर से चावल, 2Rs/kg के दर से गेहूं और 1Rs/kg के दर से मोटा अनाज देने का प्रावधान है।
राज्य सरकार चाहे तो इनपर भी सब्सिडी दे सकती है और इन्हे 1Rs/kg के हिसाब से या मुफ्त में वितरित कर सकती है।
3. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में
आंगनबाड़ी की मदद से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण संबंधी सहायता (पौष्टिक आहार) प्रदान करना।
6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पौष्टिक आहार और रेडी टू ईट जैसी पोषक खाद्यान्न की व्यवस्था करना।
4. बाल विकास के क्षेत्र में
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को स्कूलों में मध्यान भोजन के माध्यम से पौष्टिक आहार देने की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
"राज्य की ज़िम्मेदारी"
पात्र व्यक्तियों को चिन्हांकित करना और उनके लिए उनके पात्रता के अनुसार राशन कार्ड जारी करना तथा निर्धारित मात्रा में राशन उपलब्ध करना, यह राज्य की ज़िम्मेदारी है।
केंद्र सरकार इस व्यवस्था के क्रियान्वयन के लिए राज्यों को खाद्यान्न देती है और वित्तीय सहायता करती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के बारे में जान लेने के बाद अध्ययन के इस कड़ी में अब हम वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के बारे में पढ़ेंगे
वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना क्या है?
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना केन्द्र सरकार की एक ऐसी कल्याणकारी योजना है जिसके तहत् भारत का कोई भी व्यक्ति (जिसके पास राशन कार्ड हो) देश के किसी भी कोने में उचित मूल्य की दुकानों पर सेंट्रल सब्सिडी रेट पर अपने हिस्से का अनाज ले सकता है।
और अपने राज्य के किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर राज्य द्वारा निर्धारित दर पर अनाज ले सकता है।
उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने इसे साल 2019 में इसे एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह लाया था।
सबसे पहले इसे तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात इन चार राज्यों में लॉन्च किया गया।
इस स्कीम का सबसे ज्यादा फ़ायदा प्रवासी मजदूरों को होगा, अब वो भारत में कहीं भी अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं।
यह सार्वजानिक वितरण प्रणाली को और भी सक्षम बनाने की तरफ केन्द्र सरकार का एक अनूठा पहल है।
और इस तरह से यह लेख समाप्त होता है, आशा करते है आपको इस लेख से कुछ महत्वपूर्ण सीखने को मिला होगा।